By - shiwani mishra

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हिंदु धर्म की अनेक परंपराएं खाने से भी जुड़ी हैं। हमारे धर्मशास्त्रों के अनुसार कुछ चीजों को त्याज्य माना गया है। 

अधिकांश लोग जो पूजा-पाठ या ध्यान साधना करते हैं। वे सात्विक भोजन करते हैं।  सात्विक भोजन लेने से ध्यान साधना से नहीं भटकता है।

सात्विक भोजन

मसुर की दाल को तामसिक स्वभाव का भोजन माना गया है। तामसिक चीजों के सेवन से कामवासना और क्रोध बढ़ता है।

तामसिक स्वभाव

मसुर की दाल के सेवन को धर्म शास्त्रों के अनुसार भी वर्जित माना गया है। इससे जुड़ी एक कथा में मसुर की दाल कामधेनु के रक्त का रूप माना है। 

धर्म शास्त्रों

मां काली को विशेष रूप से मसुर की दाल अर्पित की जाती है। कथा के अनुसार जमदग्रि ऋषि के पास कामधेनु गाय थी। 

मां काली

हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार मसुर की दाल का सेवन अच्छा नहीं माना गया है। इसीलिए मांसाहारी भोजन में मसूर की दाल का प्रयोग करते हैं।

हिन्दू धर्म

प्राचीन काल में मसूर की दाल बनाने की रेसिपी कुछ ऐसी थी जो नॉनवेज का स्वाद बढ़ाने में मदद करती थी। 

प्राचीन काल

भारत में जब अफगान और मुगल आए तब वह अपने साथ काबुली चना और मसूर की दाल भी लाए। 

अफगान और मुगल