By - Deepika Pal
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पितृ पक्ष के दौरान 3 प्रकार के वृक्ष, पशु, पक्षी और जलचर का महत्व होता है।
पवित्र पेड़ में से एक इसमें विष्णु का निवास होता है इसे घर में लगाने का विशेष महत्व है।
बरगद के वृक्ष में साक्षात शिव निवास करते हैं इसलिए पितृ पक्ष में इस पेड़ की पूजा करें।
पितृ पक्ष में शिवजी को अत्यंत प्रिय बेल का वृक्ष लगाया जाय तो अतृप्त आत्मा को शान्ति मिलती है।
कौवे को पितृ समान माना गया है। श्राद्ध पक्ष में कौए को भोजन कराने से लाभ होता है।
जो आत्माएं अपने पूर्व जन्म में पुण्यसकर्म करती हैं वहीं देव आत्माएं बनती हैं और हंस देव समान माने गए हैं।
गरुड़ भगवान विष्णु के वाहन माने गए हैं। गरुणदेव को पक्षियों में सबसे पवित्र माना गया है।
कुत्ते मनुष्य की रक्षा भी करते हैं और आने वाले संकट को वह अपने ऊपर ले लेते हैं।
84 लाख योनियों का सफर करके आत्मा अंतिम योनि के रूप में गाय बनती है। इसमें देवताओं का वास होता है।
हाथी गणपति जी का रूप माने गए हैं। साथ ही ये इंद्र का वाहन भी हैं। हाथी को पूर्वजों का प्रतीक माना गया है।
भगवान विष्णु ने मत्सयावतार ले कर मानव जीवन के अस्त्वि को जल प्रलय से बचाया था इस वजह से खास है।
कच्छप अवतार लेकर विष्णुदेव ने असुरों के लिए मदरांचल पर्वत को अपनी पीठ पर स्थापित किया था इस वजह से खास है।
भारतीय संस्कृति में नाग की पूजा इसलिए की जाती है, पितरों का प्रतीक माना गया है।