By: Simran Singh
NavBharat Live Desk
सोलह श्रृंगार भारतीय संस्कृति में स्त्री के संपूर्ण सौंदर्य और आकर्षण का प्रतीक माने जाते हैं।
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ये श्रृंगार सौभाग्य, समृद्धि और शुभता का प्रतीक होते हैं, खासकर विवाहित स्त्रियों के लिए।
श्रृंगार न केवल बाहरी सौंदर्य बढ़ाते हैं, बल्कि स्त्री के आत्मविश्वास और मनोबल को भी बढ़ाते हैं।
सोलह श्रृंगार को देवी लक्ष्मी और पार्वती की उपासना से जोड़ा गया है, जिससे स्त्री को देवी का रूप माना जाता है।
ये श्रृंगार पति की दीर्घायु और वैवाहिक सुख के लिए शुभ माने जाते हैं।
प्रत्येक श्रृंगार का अपना प्रतीकात्मक अर्थ होता है, जो तन, मन और आत्मा को शुद्ध करता है।
यह भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है, जो स्त्रियों की परंपरा, आस्था और नारीत्व को दर्शाता है।
श्रृंगार करने से स्त्री स्वयं को सुंदर और सशक्त महसूस करती है, जिससे आत्मविश्वास बढ़ता है।
त्योहारों, विवाह और धार्मिक अनुष्ठानों में 16 श्रृंगार स्त्री की पूर्णता का प्रतीक माने जाते हैं।
कुछ श्रृंगार जैसे काजल, चंदन, इत्र आदि शरीर को ठंडक और ताजगी प्रदान करते हैं।