16 सिंगार करने से क्या होता है

08 Oct 2025

By: Simran Singh

NavBharat Live Desk

सोलह श्रृंगार भारतीय संस्कृति में स्त्री के संपूर्ण सौंदर्य और आकर्षण का प्रतीक माने जाते हैं।

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स्त्री सौंदर्य का प्रतीक

ये श्रृंगार सौभाग्य, समृद्धि और शुभता का प्रतीक होते हैं, खासकर विवाहित स्त्रियों के लिए।

शुभता और समृद्धि का संकेत

श्रृंगार न केवल बाहरी सौंदर्य बढ़ाते हैं, बल्कि स्त्री के आत्मविश्वास और मनोबल को भी बढ़ाते हैं।

आध्यात्मिक और भावनात्मक संतुलन

सोलह श्रृंगार को देवी लक्ष्मी और पार्वती की उपासना से जोड़ा गया है, जिससे स्त्री को देवी का रूप माना जाता है।

देवी स्वरूप की उपमा

ये श्रृंगार पति की दीर्घायु और वैवाहिक सुख के लिए शुभ माने जाते हैं।

वैवाहिक जीवन में मंगल का प्रतीक

प्रत्येक श्रृंगार का अपना प्रतीकात्मक अर्थ होता है, जो तन, मन और आत्मा को शुद्ध करता है।

शरीर और मन की शुद्धि

यह भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है, जो स्त्रियों की परंपरा, आस्था और नारीत्व को दर्शाता है।

धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा

श्रृंगार करने से स्त्री स्वयं को सुंदर और सशक्त महसूस करती है, जिससे आत्मविश्वास बढ़ता है।

आत्म-संतुष्टि और आत्म-प्रेम का माध्यम

त्योहारों, विवाह और धार्मिक अनुष्ठानों में 16 श्रृंगार स्त्री की पूर्णता का प्रतीक माने जाते हैं।

समारोहों में विशेष महत्व

कुछ श्रृंगार जैसे काजल, चंदन, इत्र आदि शरीर को ठंडक और ताजगी प्रदान करते हैं।

सौंदर्य और स्वास्थ्य से जुड़ा

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