By - Simran Singh

Image Source: Freepik

दशरथ की मृत्यु

वनवास में जब प्रभु श्री राम को पिता राजा दशरथ की मृत्यु का पता चला तो उनका पिंडदान की तैयारी शुरू की।

ऐसे में श्री राम और लक्ष्मण सामग्री इकट्ठा करने चल दिए। तभी राजा दशरथ की आत्मा ने सीता जी से कहा कि पिंडदान का समय निकल रहा है।

आत्मा

क्योकि भगवान राम नहीं थे, इसलिए माता सीता ने अपने ससुर का पिंडदान करने का निर्णय लिया।

सीता ने किया पिंडदान

माता सीता ने फाल्गु नदी के किनारे ससुर राजा दशरथ का पिंडदान किया। उन्होंने फाल्गु नदी, गाय, वटवृक्ष और केतकी के फूल को साक्षी बनाया था।

फाल्गु नदी

इसके बाद दशरथ की आत्मा को शांति मिली बाद में श्री राम और लक्ष्मण जी को सीता ने उन्हें पूरी घटना सुनाई।

श्री राम को बताई घटना

प्रभु राम और लक्ष्मण को सुनकर आश्चर्य हुआ तो सीता जी ने चारों साक्षियों को गवाही बनाया तीन ने झूठ बोल दिया कि उन्हें कुछ नहीं पता।

गवाह

फाल्गु नदी, गाय और केतकी के फूल ने झूठ बोल की उन्हें कुछ नहीं पता।

बोला झूठ

क्रोधित होकर सीता ने उन्हें श्राप दिया। उन्होंने फाल्गु नदी को श्राप दिया उसका जल सूख जाएगा।

दिया श्राप

गाय को श्राप दिया पूजनीय होकर भी भोजन के लिए दर-दर भटकेगी।

गाय का श्राप

केतकी के फूल को श्राप दिया पूजा में इस फूल का इस्तेमाल नहीं होगा।

केतकी के फूल का श्राप

कितनी होती है सूरज की उम्र?