By - Simran Singh
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ऐसे में श्री राम और लक्ष्मण सामग्री इकट्ठा करने चल दिए। तभी राजा दशरथ की आत्मा ने सीता जी से कहा कि पिंडदान का समय निकल रहा है।
क्योकि भगवान राम नहीं थे, इसलिए माता सीता ने अपने ससुर का पिंडदान करने का निर्णय लिया।
माता सीता ने फाल्गु नदी के किनारे ससुर राजा दशरथ का पिंडदान किया। उन्होंने फाल्गु नदी, गाय, वटवृक्ष और केतकी के फूल को साक्षी बनाया था।
इसके बाद दशरथ की आत्मा को शांति मिली बाद में श्री राम और लक्ष्मण जी को सीता ने उन्हें पूरी घटना सुनाई।
प्रभु राम और लक्ष्मण को सुनकर आश्चर्य हुआ तो सीता जी ने चारों साक्षियों को गवाही बनाया तीन ने झूठ बोल दिया कि उन्हें कुछ नहीं पता।
फाल्गु नदी, गाय और केतकी के फूल ने झूठ बोल की उन्हें कुछ नहीं पता।
क्रोधित होकर सीता ने उन्हें श्राप दिया। उन्होंने फाल्गु नदी को श्राप दिया उसका जल सूख जाएगा।
गाय को श्राप दिया पूजनीय होकर भी भोजन के लिए दर-दर भटकेगी।
केतकी के फूल को श्राप दिया पूजा में इस फूल का इस्तेमाल नहीं होगा।