नेशनल ज्योग्राफिक का दावा है कि जलवायु परिवर्तन, भोजन की कमी के कारण ध्रुवीय भालू अपने ही बच्चों को खाना शुरू कर चुके हैं।

जब एक समूह में भोजन प्रतियोगिता होती है, तो वे दूसरे समूहों के बच्चों को मार देते हैं और उनका मांस अपने समूहों के बीच बांट देते हैं। वे प्रजनन की संभावना बढ़ाने के लिए ऐसा करते हैं।

कैल्शियम की कमी को पूरा करने के लिए मुर्गियां अपने अंडे खुद ही खाती हैं। कई बार उन्हें इस बात का एहसास नहीं होता कि वे अपने बच्चों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

कथित तौर पर नर शेर प्रभुत्व स्थापित करने के लिए शावकों को मार देते हैं। वजह ये है कि नया नर शेर पैदा होता है, तो वह प्रजनन साथी को चुरा सकता है या किसी क्षेत्र पर कब्जा कर सकता है। शेरनियों को दोबारा संभोग के लिए तैयार करने के लिए भी वे ऐसा कई बार करते हैं।

ब्लेनी फिश अपने बच्चों को भी मार देती है। वैज्ञानिकों का दावा है कि वे ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि उनके अंदर जिज्ञासा अधिक होती है।

यूटा में रहने वाली काली पूंछ वाले प्रेयरी कुत्ते की प्रजाति अपने ही परिवार के नवजात शिशुओं को मारकर खा जाती है। लेकिन ऐसा शावक के माता-पिता नहीं बल्कि झुंड की अन्य मादाएं करती हैं।

दो गर्भाशय वाली मादा सैंड टाइगर शार्क अपने पेट में पल रहे बच्चे यानी भ्रूण खा जाती है। प्रजनन के दौरान वह कई नर शार्क के साथ संभोग करती है। ऐसी स्थिति में कई अंडे आपस में मिल जाते हैं और कई भ्रूण पैदा हो जाते हैं।