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दुनिया में दालों को बहुत ही पौष्टिक माना जाता है। भारत में भी हर घर में दाल बनाई जाती है।
दाल प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है जिसे शाकाहारी लोग काफी पसंद करते हैं।
लेकिन हमारे देश में एक दाल ऐसी भी है जिसे मांसाहारी में गिना जाता है।
इस दाल को साधु संत भी कभी हाथ नहीं लगाते हैं क्योंकि उनके अनुसार यह नॉनवेज है।
मान्यताओं के अनुसार यह दाल राहु और केतु के रक्त से पैदा हुई थी।
यही कारण है कि इस दाल को साधु संत दान में नहीं लेते हैं। वह इसे अपवित्र मानते हैं।
इस दाल का नाम मसूर है। मसूर की दाल सनातन धर्म में मांसाहारी मानी गई है।
हालांकि कई लोग इसे मांसाहारी नहीं मानते हैं और खूब चाव से खाते हैं।