फरवरी में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था।

SC ने SBI को 06 मार्च तक (2019 से अब तक) खरीदे गए सभी इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग को देने का आदेश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश चुनाव आयोग को ये जानकारी 31 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर जारी करनी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा इलेक्टोरल बॉन्ड को अज्ञात रखना सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19 (1) (ए) का उल्लंघन है।

इलेक्टोरल बॉन्ड राजनीतिक दलों को चंदा देने का एक वित्तीय ज़रिया है। जिसे एकमात्र बैंक SBI जारी करती है।

इलेक्टोरल बॉन्ड में चंदा देने वाली की पहचान और पार्टी को मिल रहे चंदे की रकम को गुप्त रखा जाता है।

मोदी सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की घोषणा 2017 में की थी। 29 जनवरी 2018 को कानूनन लागू कर दिया था।

SBI ने कोर्ट के आदेश पर याचिका दायर कर और वक्त मांगा है, बैंक ने तर्क दिया है कि इस प्रोसेस में लम्बा वक्त लगेगा।

विपक्ष ने बैंक की याचिका पर सवाल उठाया है कि बैंक जानबूझ कर इसे चुनाव के बाद तक खींचना चाहता है ताकि बीजेपी का भ्रष्टाचार छिपा रहे।

सीपीआईएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने एसबीआई की याचिका पर निराशा ज़ाहिर की है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि एसबीआई का डोनर्स की जानकारी देने के लिए चुनाव बाद का समय मांगना, चुनाव ये पहले ‘मोदी के असली चेहरे को छुपाने की अंतिम कोशिश है।