भारत से तल्खी मालदीव को पड़ सकती है महंगी, जानिए क्यों?

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर मालदीव के मंत्रियों द्वारा की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों के बाद पड़ोसी देश काफी दबाव में नजर आ रहा है।

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पीएम मोदी पर की गई टिपण्णियों के बाद खुद राष्ट्रपति मुइज्जू के अलावा कई नेता बैकफुट पर नजर आ रहे हैं।

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भारत शुरू से ही मालदीव के लिए काफी मददगार साबित हुआ है।

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भारत से तल्खी उसके पूरे अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर सकती है।

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मालदीव की अर्थव्यवस्था एक तरीके से टूरिज्म पर टिकी है और यहां सबसे ज्यादा पर्यटक भारत से ही जाते हैं।

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पर्यटन मंत्रालय के अनुसार दिसंबर 2020 से जून 2023 के बीच भारत, मालदीव का सबसे बड़ा टूरिस्ट मार्केट रहा।

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2023 में करीब 19000 इंडियन टूरिस्ट मालदीव गए, जो कुल टूरिस्ट का 11.6 फीसदी के आसपास था।

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अगर 2023 के आंकड़ों की बात करें तो भारतीय पर्यटकों ने अकेले करीब 29 अरब रुपए मालदीव में खर्च किए।

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मालदीव का बायकॉट करने के बाद वहां के टूरिज्म सेक्टर को झटका लगना तय है।

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मालदीव के पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए भारतीयों के आइलैंड पर जल और साफ सफाई से जुड़ी कई परियोजनाएं ऑपरेट कर रहा है।

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अगर भारत ने इस परियोजना से हाथ खींच लिए तो मालदीव पीने के पानी के लिए भी तरस कर रह जाएगा।

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मालदीव की टूरिज्म इंडस्ट्री में टेक्नीशियन से लेकर इंजीनियर, मैनेजर, अकाउंटेंट जैसे हम पदों पर भारतीय ही काम कर रहे हैं, इनके वापस लौट जाने पर पूरा मालदीव ठप्प हो जाएगा।

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भारत मालदीव को मुख्य तौर पर- लोहा, स्टील, दवाएं, प्लास्टिक, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक आइटम निर्यात करता है, इस मामले में चीन भी उसे बचा नहीं पाएगा।

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भारतीय बैंकों ने मालदीव को भारी-भरकम कर्ज दे रखा है, अगर ये बैंक कर्ज वसूली पर उतर आए तो मालदीव को लेने के देने पड़ जाएंगे।

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