गलत जगह पर गणेश जी की मूर्ति रखने से हो सकता है अमंगल, जानिए सही जगह!
किसी भी मांगलिक और शुभ कार्य में सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। भगवान गणेश का पूजन करने से सभी विघ्न और बाधाएं समाप्त हो जाती हैं।
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गणेश जी की प्रतिमा घर में रखते समय यदि सही नियमों को ध्यान में न रखा जाए तो कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है। चलिए जानते हैं घर में गणेश जी की मूर्ति या प्रतिमा रखने के सही नियम...
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घर के दक्षिण दिशा में भूलकर भी गणपति भगवान की मूर्ति नहीं स्थापित करनी चाहिए। इसके अलावा बाथरूम, डस्टबिन, स्टोर रूम, सीढ़ियों के नीचे आदि जगहों पर भी गणपति की प्रतिमा स्थापितन करें।
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वास्तु शास्त्र के अनुसार, गणपति जी की मूर्ति घर लाते समय इस बात का जरूर ध्यान रखें कि उनकी सूंड किस दिशा की ओर है।
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वास्तु शास्त्र के अनुसार, गणेश जी ऐसी मूर्ति घर लाएं जिसमें उनकी सूंड बाई ओर झुकी हुआ है। क्योंकि यह दिशा सफलता और सकारात्मक ऊर्जा को दर्शाती है।
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वास्तु के अनुसार यदि घर में रखी भगवान गणेश की प्रतिमा खंडित या बेरंग हो जाए, तो उसे किसी नदी या तालाब में प्रवाहित कर दें और घर में नई मूर्ति स्थापित करें। टूटी और बदरंग मूर्ति से नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और कोई लाभनहीं मिलता।
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यदि आप गणेश जी की प्रतिमा मुख्य द्वार पर लगा रहे हैं तो इस बात का विशेष ध्यान रखें कि गणेश जी का मुख बाहर की तरफ न हो, बल्कि हमेशा अंदर की तरफ हो।
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यदि दो प्रतिमा हैं तो एक का मुख बाहर और एक का मुख भीतर की ओर रखा जा सकता है।
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गणपति जी की मूर्ति अगर घर ला रहे हैं तो मोदक और चूहा जरूर होना चाहिए। मोदक गणपति जी का सबसे प्रिय भोग माना जाता है और चूहा उनका वाहन है।
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वास्तु के अनुसार, चूहा को भौतिक इच्छा और हमारे मन का भी प्रतिनिधित्व माना जाता है, जो गणेश जी की प्रतिमा के साथ और ज्यादा प्रभावशाली मन जाता है।