जानिए जीवित्पुत्रिका की मान्यताएं, महिलाएं क्यों रखती हैं यह व्रत?

इस बार जितिया व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 6 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 34 मिनट से शुरू होगा।

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जितिया व्रत पारण का समय 7 अक्टूबर को सुबह 8.08 बजे के बाद होगा।

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जितिया व्रत बहुत कठिन माना जाता है, इसे शुभ मुहूर्त देखकर ही खोला जाता है।

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वहीं जितिया व्रत रखने वाली महिलाएं एक दिन पहले स्नान करने के बाद सात्विक भोजन यानी बिना प्याज-लहसुन का भोजन करती हैं।

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फिर अगले दिन जितिया निर्जला व्रत रखने का संकल्प लेकर दूसरे दिन नवमी तिथि को जितिया व्रत खोलती हैं।

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जितिया व्रत सूर्य देव की पूजा और अर्घ्य देकर खोला जाता है।

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व्रती महिलाओं को किसी को अपशब्द कहने और बुरे विचार से दूर रहना चाहिए।

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जितिया व्रत जहां संतान की रक्षा के लिए किया जाता है वहीं इस व्रत को करने से सूनी गोद भी भर जाती है।

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संतान प्राप्ति की कामना रखनेवाली महिलाओं को जितिया व्रत अवश्य करना चाहिए।

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जितिया व्रत सबसे पहले सास रखती है, जिसके बाद घर की बहुएं इस परंपरा को निभाती हैं।

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मान्यता है कि इस व्रत को बीच में नहीं छोड़ा जा सकता, इसे हर साल करना चाहिए।

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जितिया का व्रत रखने से परिवार से जुड़ी हर मनोकामना पूरी होती है।

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Disclaimer: इस लेख में मौजूद जानकारी विभिन्न माध्यमों से एकत्रित कर आपके समक्ष प्रस्तुत की गई है। हमारा उद्देश्य केवल जानकारी प्रदान करना है।

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