सूरज के सफर पर निकला ISRO का Aditya L1 Launch, क्या है इस मिशन का लक्ष्य?

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO) ने अपना पहला सूर्य मिशन Aditya L1 सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा से 11 बजकर 50 मिनट पर लांच कर दिया है।  

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अंतरिक्ष यान को अपनी तय मंजिल तक पहुंचने में चार महीने यानी 125 दिन का समय लगेगा।

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Aditya L1 को पृथ्वी सूर्य के बीच लैंग्रेंज प्वाइंट 1 (L1) यानी अंतरिक्ष में वो स्थान है, जहां सूर्य-पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण आपस में बैलेंस हो जाता है। पृथ्वी से इसकी दूरी 15 लाख किलोमीटर है।

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धरती से सूरज की दूरी तकरीबन 15 करोड़ किलोमीटर है। इस दूरी के बीच पांच लैग्रेंज पॉइंट्स हैं। उन्हें L1, L2, L3, L4 और L5 पॉइंट के नाम से जाना जाता है।

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धरती से सूरज की दूरी 15 करोड़ किलोमीटर है। L1 से आगे जाने पर किसी भी यान के जलने का खतरा है। इसलिए आदित्य L1 से ही सूरज पर होने वाली गतिविधियों का अध्ययन करेगा। 

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 L1 स्थान को दिन और रात की साइकिल प्रभावित नहीं करती। यहां से सूरज सातों दिन और 24 घंटे दिखाई पड़ता है। वहीं ये पॉइंट पृथ्वी के नजदीक है और यहां से संचार में काफी आसानी होती है। इस कारण ये स्थान स्टडी के लिहाज से अच्‍छा माना जाता है।

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ISRO के मुताबिक इस मिशन का लक्ष्य सूर्य के क्रोमोस्फेयर और कोरोना की गतिशीलता, सूर्य के तापमान, कोरोनल मास इजेक्शन, कोरोना के तापमान, अंतरिक्ष मौसम समेत कई दूसरे वैज्ञानिक पहलुओं का अध्ययन करना है।

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Aditya L1 अपने साथ फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परतों (कोरोना) का निरीक्षण करने के लिए सात पेलोड ले जाएगा। इनमें से 4 पेलोड सूरज पर नजर रखेंगे, बाकी 3  L1 पॉइंट के आसपास का अध्ययन करेंगे।

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मिशन Aditya L1 को सूर्य के नजदीक भेजा जा रहा है, ताकि समय रहते हुए सूर्य की तरफ से आने वाले कोरोनल मास इजेक्शन और उसकी तीव्रता का अंदाजा लगाया जा सके। इसके साथ ही शोध की दृष्टि से भी मिशन के कई लाभ हैं।

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