राजस्थान के इस गांव में दुल्हन को गोद में उठा कर फेरे लेता है दूल्हा 

राजस्थान के श्रीमाली समाज में ऐसी ही एक प्रथा है, जहां शादियों में दूल्हा दुल्हन को गोद में उठाकर फेरे लेता है।

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यहां दूल्हा-दुल्हन सात की जगह आठ फेरे लेते हैं, तभी शादी संपन्न होती है और फेरे लेने का नियम भी अनोखा है।

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शादी के दिन चबरक के कार्यक्रम में कन्या पक्ष की सुहागिनें दूल्हे को घी-शक्कर युक्त चावल लाकर ग्रास की मनुहार करती है।

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इसके बाद दूल्हा और दुल्हन एक-दूसरे को इस ग्रास की मनुहार करने के पश्चात दूल्हा अपनी दुल्हनियां को गोद में उठाकर फेरे लेता हैं।

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इसके पीछे मान्यता यह है कि भगवान कृष्ण और माता रुक्मिणी का विवाह हो रहा था।

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तब माता रुक्मिणी के पैर में चोट लग गई थी, तो भगवान कृष्ण ने माता रुक्मिणी को गोद मे उठाकर फेरे लिए थे।

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फेरों की रस्म शुरू होती है तब पहले चार फेरे लिए जाते हैं, इसके बाद कन्यादान, अंगूठा पकड़ाई के बाद 4 फेरे लिए जाते हैं।

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यह भी कहा कि अगर कोई दूल्हा, दुल्हन को गोद में उठाने में सक्षम ना हो तो हाथ पकड़कर रस्म निभाई जाती है।

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