By: Deepika Pal
NavBharat Live Desk
10 दिनों के गणेश उत्सव की शुरुआत 27 अगस्त से होने वाली है। इस मौके पर प्रथम पूज्य देवता की पूजा की जाती है।
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गणेशा जी की आरती के बाद घर और पंडालों में गणपति बप्पा मोरया का उद्घोष गूंजता है।
चौदहवीं शताब्दी के संत थे। वे भगवान गणेश के एकनिष्ठ एवं अनन्य भक्त थे। पुणे के मोरगांव में जन्मे थे।
मोरया गोसावी के पुत्र चिंतामणि को भी गणेश का अवतार माना जाता है।उन्होंने अष्टविनायक यात्रा की शुरुआत की थी।
परम गणेश भक्त की अदभुत भक्ति-समर्पण एवं तपस्या के कारण गणपति बप्पा को गणपति बप्पा मोरया कहा जाने लगा।
मोरगांव नाम इसलिए मिला क्योंकि समूचा क्षेत्र मोरों से समृद्ध था। यहां गणेश की सिद्धप्रतिमा थी जिसे मयूरेश्वर कहा जाता है।
प्रसिद्ध गणपति वंदना सुखकर्ता-दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची की रचना मोरया गोसावी के सानिध्य में की थी।
महाराष्ट्र में सर्वप्रथम लोकमान्य तिलक ने हिंदुओं को एकत्र करने के उद्देश्य से पुणे में वर्ष 1893 में सार्वजनिक गणेश उत्सव की शुरुआत की।