By - Simran Singh
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वनवास में पांडवों के पास कई ऋषि—मुनि उनके पास भोजन करने आते थे
ऐसे में द्रौपदी ने युधिष्ठिर से कहा कि वह इस समस्या का समाधान करें।
तब युधिष्ठिर ने जल में कई दिनों तक सूर्यदेव की तपस्या की। जिससे सूर्यदेव ने प्रकट होकर समस्या पूछी।
युधिष्ठिर ने सूर्यदेव को भोजन की समस्या बताई।
तब सूर्यदेव ने युधिष्ठिर को एक दिव्य बर्तन दिया बर्तन में खाना कभी खत्म नहीं होगा।
सूर्यदेव ने दिव्य पात्र के साथ यह निर्देश दिया कि जब तक द्रौपदी अपना भोजन समाप्त नहीं कर लेती तब तक इस में भोजन रहेगा।