विदेशों में भी प्रसिद्ध हैं हिंदू मंदिर, मुस्लिम भी करते हैं दर्शन!
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल जिले में स्थित कटासराज मंदिर भगवान शिव का सबसे प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर का उल्लेख महाभारत काल में भी मिलता है। पिछले कुछ सालों से पाकिस्तान के पुरातत्व विशेषज्ञ इसके रखरखाव में लगे हुए हैं।
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कंबोडिया में भगवान विष्णु का एक विशाल हिंदू मंदिर है, जो दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक स्मारकों में से एक है। भगवान विष्णु को समर्पित इस मंदिर का निर्माण कंबोडिया के खमेर राजा सूर्यवर्मन द्वितीय ने लगभग 12वीं शताब्दी में करवाया था।
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मुस्लिम देश मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर से 13 किलोमीटर दूर भगवान शिव और पार्वती के बड़े पुत्र कार्तिकेय का मंदिर है, जिन्हें मुरुगन के नाम से जाना जाता है। यह स्थान मलेशिया में रहने वाले हिंदुओं द्वारा मनाए जाने वाले त्योहार थाईपुसम का मुख्य केंद्र है।
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इंडोनेशिया के जावा में प्रम्बानन मंदिर देश का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है। यह मंदिर विशेष रूप से भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा को समर्पित है। यह मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर में शामिल है।
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नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर दुनिया के सबसे पुराने हिंदू मंदिरों में से एक है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव की लगभग 1 मीटर ऊंची चतुर्मुखी प्रतिमा स्थापित है। यूनेस्को ने इस मंदिर को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया है।
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ओमान के मस्कट में श्री कृष्ण मंदिर और शिव मंदिर 109 साल पुराने हैं। इस मंदिर को मोतीश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
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वर्तमान में संयुक्त अरब अमीरात में केवल एक ही मंदिर है जो दुबई में है। इसका नाम है शिव और कृष्ण मंदिर। यह मंदिर अल रिग्गा स्ट्रीट से कुछ दूरी पर है।
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भगवान मुरुगन का यह भव्य मंदिर ऑस्ट्रेलिया की राजधानी सिडनी में न्यू साउथ वेल्स की पहाड़ियों पर स्थित है। इस मंदिर को 'सिडनी मुरुगन' के नाम से भी जाना जाता है। सिडनी में स्थित यह मंदिर हिंदू धर्म के लोगों के लिए आस्था का केंद्र है।
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मॉरीशस में स्थित सागर शिव मंदिर हिंदुओं का एक पवित्र धार्मिक स्थान है। इस मंदिर का निर्माण वर्ष 20 07 में किया गया था। इस मंदिर में भगवान शिव की 108 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा स्थापित है।
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श्रीलंका के मुन्नेश्वरम गांव में स्थित मुन्नेश्वरम मंदिर के प्रति लोगों की गहरी आस्था है। मान्यता है कि भगवान राम ने रावण का वध करने के बाद इसी स्थान पर भगवान शिव की पूजा की थी। यह मंदिर दक्षिण भारतीय द्रविड़ शैली में बना है और इस मंदिर के दर्शन के लिए श्रीलंका और भारत से लाखों श्रद्धालु आते हैं।