By - Shiwani Mishra

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इंसान तो इंसान, जानवर भी इसी जुगत में रहते हैं कि कैसे थोड़ी गर्मी मिल जाए।

 एक चीज है, जो आपको ठंड के कारण पैदा हुई कई समस्याओं से मुक्ति दिला सकती है और वह है आयुर्वेद में 'गुणों की खान' अदरक।

आयुर्वेद

एक मुहावरा है कि बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद। बंदर अदरक का स्वाद नहीं जानते, लोकप्रिय मुहावरे को हम आम तौर पर अपनी रोजमर्रा की बातचीत में न जाने कितनी बार बोलते हैं।

लोकप्रिय मुहावरा

 जिसका मतलब है कि अज्ञानी व्यक्ति गुणों से भरी चीजों की कदर नहीं करते, इस मुहावरे के पीछे की कहानी बेहद सिंपल है।

अज्ञानी व्यक्ति

 इंसान जिस तरह से अदरक का स्वाद लेते हैं, बंदर नहीं ले सकते। इसी वजह से बंदर अदरक को सूंघने के तुरंत बाद ही फेंक देते हैं।

बंदर

 शाकाहारी जानवर बंदर हर तरह के पेड़-पौधों को पहचान सकते हैं, अदरक के स्वाद को पहचानने की क्षमता मनुष्यों में होती है, बंदरों में नहीं।

शाकाहारी जानवर

 अदरक में कई पोषक तत्व होते हैं और इसी वजह से आयुर्वेद में अदरक को अमृत के समान माना जाता है। अदरक में कैल्शियम, आयरन के साथ अन्य खनिज तत्व होते है।

पोषक तत्व

आयुर्वेद के अनुसार यदि कई दिनों से खांसी आपका पीछा नहीं छोड़ रही है तो अदरक की चाय या नमक के साथ अदरक को चाटने से गले में आराम मिल सकता है।

आयुर्वेद