By: Simran Singh
NavBharat Live Desk
नीलकमल को आत्मज्ञान, ध्यान और आंतरिक शांति का प्रतीक माना जाता है। इसे अक्सर "आत्मा की यात्रा" से जोड़ा गया है।
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प्राचीन मिस्र में नीलकमल को जीवन, पुनर्जन्म और सूर्य देवता "रा" का प्रतीक माना जाता था। यह दिन में खिलता और रात में बंद हो जाता था, जिससे इसे "जीवन और मृत्यु के चक्र" से जोड़ा गया।
बौद्ध धर्म में नीलकमल ज्ञान और बुद्धत्व का प्रतीक है। बुद्ध को भी नीलकमल से जोड़ा गया है, जो "अज्ञान के अंधकार से ज्ञान की रोशनी" तक की यात्रा को दर्शाता है।
भारतीय ग्रंथों में कमल को देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु से जोड़ा गया है, वहीं नीलकमल को दुर्लभ और रहस्यमयी शक्ति का प्रतीक माना गया।
नीलकमल का उपयोग प्राचीन समय में औषधि और ध्यान साधना में किया जाता था। इसकी सुगंध और अर्क मन को शांत कर गहरे ध्यान की अवस्था तक पहुंचाने में मदद करते हैं।
कुछ परंपराओं में नीलकमल को गुप्त साधनाओं, तांत्रिक क्रियाओं और रहस्यवादी शक्तियों से जोड़ा गया है।
नीलकमल अत्यंत दुर्लभ माना जाता है, इसी कारण इसे रहस्यमय और अलौकिक आभा वाला फूल समझा जाता है।