By: Simran Singh
NavBharat Live Desk
द्वीत, जिसे द्विविद भी कहा जाता है, सुग्रीव के मंत्री मैंदा का भाई था।
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दोनों भाइयों में हजारों हाथियों का बल माना जाता था।
रावण युद्ध के लिए बनी श्रीराम की वानर सेना में द्वीत भी शामिल हुआ।
युद्ध खत्म होने के बाद द्वीत हर रात लंका जाकर रावण की शिव उपासना में विघ्न डालता।
परेशान होकर रावण ने इसे युद्ध नियमों के विरुद्ध बताया।
रावण ने शिकायत करते हुए श्रीराम जी को पत्र लिखा।
श्रीराम ने द्वीत को समझाया, परंतु वह नहीं माना।
अंततः श्रीराम ने द्वीत को सेना से निकाल दिया। द्वापर युग में भी द्वीत ने उत्पात मचाया।
भगवान बलराम जी ने उसका वध कर दिया।
यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और लोककथाओं पर आधारित है। इसकी सत्यता की पुष्टि Navabharat नहीं करता।