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Chandra Grahan 2023: जानें चंद्र ग्रहण लगने का वैज्ञानिक कारण

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चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है। विज्ञान के पास चंद्रग्रहण के कई कारण है।

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जब पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है। इस दौरान एक वक्त ऐसा आता है जब परिक्रमा करते हुए पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच में आ जाती है।

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पृथ्वी जब दोनों के बीच आती है तो उस वक्त सूर्य की रोशनी चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती है। ऐसी स्थिति में चंद्रग्रहण लगता है।

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इस बार 05 मई 2023 को साल का पहला चंद्र ग्रहण लगेगा। इससे पहले 20 अप्रैल 2023 को पहला सूर्य ग्रहण लगा था।

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चंद्र ग्रहण रात 08 बजकर 44 मिनट से शुरू होगा और देर रात 1 बजकर 2 मिनट पर समाप्त होगा। चंद्र ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे 15 मिनट की है।

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साल का पहला चंद्र ग्रहण यूरोप, अधिकांश एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, प्रशांत, अटलांटिक, अंटार्कटिका और हिंद महासागर में दिखाई देगा। हिंदू पंचांग की गणना के अनुसार यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा।

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चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। सूतक काल में मंदिरों के पट बंद कर दिए जाते हैं और भगवान की पूजा-अर्चना वर्जित होती है।

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कल का चंद्रग्रहण उपछाया चंद्रग्रहण है। प्रत्येक चंद्र ग्रहण शुरू होने से पहले, चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश करता है, जिसे अम्ब्रा कहा जाता है।

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अक्सर चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश करता है और बाहर निकलता है और उसका स्वरूप धुंधला हो जाता है। इसे चंद्र ग्रहण कहते हैं।