भारत के इन मंदिरों में होती है खंडित शिवलिंग की पूजा, जानिए क्यों?

पुरातन काल से ही खंडित मूर्ति या फिर फोटो की पूजा नहीं करने की विधि चलती आ रही है।

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कहा जाता है कि भगवान की आराधना के वक्त पूरा ध्यान उनकी तस्वीर या प्रतिमा पर केंद्रित होती है और खंडित होने की वजह से बार-बार ध्यान उसी ओर जाता है जिस वजह से पूजा में मन नहीं लगता।

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हिंदू ग्रंथों में शिव शंकर को ब्रह्म रूपी है और शिवलिंग को शिव का निराकार रूप कहा गया है। अर्थात जिनका कोई आकार नहीं है। इसलिए ऐसा माना जाता है शिव जी का प्रतीक शिवलिंग कहीं से टूट जाने पर भी कभी खंडित नहीं कहलाता।

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शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग बहुत ज्यादा टूट जाने पर भी पूजनीय होता है, क्योंकि महादेव का न तो आदि है और न ही अंत।

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ऐसा माना जाता है कि खंडित शिवलिंग की पूजा करने से भी मनोकामना पूरी हो जाती है।

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शास्त्रों के अनुसार, शिव जी दस दिशाओं में विराजमान हैं, तो शिवलिंग किसी भी दिशा में रखा जा सकता है, लेकिन पूजा करने वाले का मुख उत्तर दिशा में हो तो सर्वोत्तम है।

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शिवलिंग के पास हमेशा ही गोरी व गणेश की मूर्ति विराजित हो, अकेला शिवलिंग शुभदायी नहीं होता।

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बता दें कि धार्मिक नगरी कड़ा धाम के महाकालेश्वर मंदिर, राजस्थान के अरावली पर्वत पर स्थित है महादेव का खंडित शिवलिंग, झारखंड के गोइलकेरा में भी खंडित शिवलिंग की पूजा होती है।

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इन मंदिरों में पूरे विधि विधान से खंडित शिवलिंग की पूजा की जाती है।

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