जाने आलता और मेहंदी का इतिहास

08 Aug 2025

By: Simran Singh

NavBharat Live Desk

आलता एक लाल रंग का तरल है, जिसे हाथ-पैरों की सजावट के लिए लगाया जाता है। जो बंगाल, ओडिशा और असम में त्योहारों, शादियों और नृत्य प्रस्तुतियों में किया जाता है।

आलता क्या है?

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आलता का इस्तेमाल प्राचीन समय से नृत्यांगनाओं और दुल्हनों द्वारा होता आया है। इसे स्त्री की सुंदरता और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।

प्राचीन काल से उपयोग

मेहंदी या हिना एक प्राकृतिक पाउडर है, जो हाथ-पैरों पर डिजाइन बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह सौंदर्य के साथ-साथ ठंडक भी देता है।

मेहंदी का परिचय

मेहंदी का प्रचलन उत्तर भारत, राजस्थान, पंजाब, गुजरात और मध्य भारत में है, जबकि आलता पूर्वी भारत में अधिक लोकप्रिय है।

क्षेत्रीय लोकप्रियता

दोनों का उपयोग शादी-ब्याह, त्योहारों और धार्मिक समारोहों में शुभता व सौंदर्य के लिए किया जाता है।

धार्मिक और शुभ अवसर

आलता का उपयोग देवी-पूजा और नृत्य में होता है, जहाँ यह स्त्री की शक्ति और सौंदर्य का प्रतीक है।

देवी-पूजा में महत्व

शादी के समय ‘सोलह श्रृंगार’ में मेहंदी का विशेष स्थान है। इसका गहरा रंग दूल्हा-दुल्हन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है।

सोलह श्रृंगार में मेहंदी

आलता लगाने के तुरंत बाद रंग दिखाता है, जबकि मेहंदी का रंग चढ़ने में कई घंटे लगते हैं।

लगाने का तरीका और समय

पहले आलता प्राकृतिक सामग्री से बनता था, लेकिन अब इसका सिंथेटिक रूप भी मिलता है। मेहंदी पूरी तरह हर्बल होती है।

प्राकृतिक और सिंथेटिक रूप

मेहंदी त्वचा के लिए सुरक्षित है, जबकि आलता के सिंथेटिक रूप से कभी-कभी एलर्जी हो सकती है।

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