सांप से लेकर जहरीले बिच्छू तक का जहर नशे के लिए इस्तेमाल करते हैं नशेड़ी

जहरीले जानवरों के जहर को नशे के रूप में इस्तेमाल करने का चलन काफी पुराना है।

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बैन होने के बावजूद कई देशों में इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाता है।

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सांप के अलावा छिपकली, बिच्छू और ततैया के डंक के जहर का भी लोग इस्तेमाल करने से बाज नहीं आते हैं।

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भारत में भी इस तरह के नशे की लत काफी प्रचलित है।

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एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में ड्रग्स लेने वाले 13% लोग 20 साल से कम उम्र के हैं।

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सांप के जहर को 'स्नेक वेनम' नशा कहा जाता है।

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इसका इस्तेमाल अब ग्रामीण इलाकों से लेकर बड़े शहरों की रेव पार्टियों तक फैल गया है।

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नशा करने के लिए लोग सांप के जहर का इंजेक्शन लगाना या अपने अंगूठे या तर्जनी पर कटवाना भी पसंद करते हैं।

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जब तक शरीर में सांप का जहर मौजूद रहता है, तब तक इंसान एक अलग ही दुनिया में रहता है।

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सांप के जहर का उपयोग नशे के रूप में लंबे समय से होता आ रहा है, लेकिन इसे समाज और कानून से भी छुपाया गया है।

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इसके सेवन के बाद कुछ समय तक व्यक्ति को होश नहीं रहता है, लेकिन जब उसे होश आता है तो उसे अच्छा महसूस होता है।

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इसका असर 4 हफ्ते तक रहता है और इसकी लत नहीं लगती।

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इस प्रकार के नशे से मृत्यु, दौरे और श्वसन तंत्र का पक्षाघात हो सकता है।

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