आज हम आपको हिंदुस्तान की उन महिलाओं से मिलाने जा रहे हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से दुनियाभर में खास पहचान बनाई।
अगर कभी आप खुद को कमज़ोर या हारा हुआ पायें, तो एक बार इन महिलाओं की बायोग्राफ़ी पर नजर दाल लीजिएगा जिससे आपको जरूर प्रेरणा मिलेगी।
कल्पना चावला पहली भारतीय महिला Astronaut थीं, जिन्होंने स्पेस में पहुंचकर अपना सपना पूरा किया था। सपनों को पूरा करने की हिम्मत देते हुए उन्होंने कहा था कि 'सपनों से सफलता तक का रास्ता मौजूद है।
1. कल्पना चावला
नीरजा भनोट अशोक चक्र से सम्मानित पहली महिला हैं। उन्होंने 5 सितंबर 1986 में हुए प्लेन हाईजैक में बहादुरी का परिचय देते हुए 360 लोगों की जान बचाई। नीरजा भनोट के जीवन को बड़े पर्दे पर फिल्म के रूप में भी उतारा जा चुका है।
2. नीरजा भनोट
एक साधारण परिवार की वो महिला जो अब तक भारत के लिये कई अवॉर्ड जीत चुकी है। आज भी समाज में कई लोग ऐसा सोचते हैं, कि क्रिकेट और बॉक्सिंग जैसे खेल केवल पुरुषों के लिए हैं। ऐसे ही लोगों की बोलती बंद करने का काम मेरी कॉम ने किया।
3. मैरी कॉम
किरण बेदी ने पहली महिला IPS अफ़सर बन कर कई महिलाओं को कुछ करने के लिये प्रेरित किया था। IPS किरण बेदी ने अपने काम के दम पर अपनी एक खास और सशक्त पहचान बनाई है।
4. किरण बेदी
सानिया मिर्ज़ा सबसे सफल भारतीय महिला टेनिस खिलाडी है , इन्होने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई मैडल प्राप्त किए है और देश विदेश में भारत को गौरान्वित किया है। ये विश्व में एकल और डबल टेनिस दोनों खेलने वाली सर्वश्रेस्ट खिलाडी है।
5. सानिया मिर्जा
अरुणिमा सिन्हा ऐसी पहली विकलांग महिला हैं जिन्होंने न सिर्फ माउंट एवरेस्ट को फतह किया है, बल्कि दुनिया की सबसे ऊंची सभी पर्वत चोटियों को फतह करने की ठानी है।
6.अरुणिमा सिन्हा
लक्ष्मी अग्रवाल एक भारतीय एसिड अटैक सर्वाइवर हैं और एसिड अटैक पीड़ितों के अधिकारों की वकालत करती हैं। वह 2005 में नई दिल्ली में एसिड हमले की शिकार हुई थीं, जब वह सिर्फ 15 साल की थीं।
7. लक्ष्मी अग्रवाल
भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई ने अपने पति समाजसेवी महात्मा ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर 1848 में उन्होंने बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की थी।
8.सावित्रीबाई फुले
मैथ्स वुमन कही जाने वाली शकुंतला देवी कभी स्कूल नहीं गईं फिर भी दिमाग ऐसा कि लोग उन्हें ह्यूमन कंप्यूटर और मेंटल कैलकुलेटर जैसे नामों से जानने लगे। उन्होंने बड़ी से बड़ी संख्या को हाथों पर गिनने की कला से दुनिया प्रभावित थी।
9.शकुंतला देवी
इरोम चानू शर्मिला 16 साल तक भूख हड़ताल करने वाली ‘मणिपुर की लौह महिला’ है। मणिपुर की जानी-मानी मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम चानू शर्मिला 4 नवंबर 2000 से अगस्त 2016 तक भूख हड़ताल पर रहीं थीं।