
पार्क (सोर्स: सोशल मीडिया)
Nashik Park Bad Condition: नासिक शहर के 441 उद्यानों (पार्कों) पर इन दिनों बदहाली का साया छाया हुआ है। नासिक शहर के अधिकांश पार्क वर्तमान में घनी झाड़ियों, गंदगी और टूटे हुए खिलौनों के कारण खंडहर बने हुए हैं। शहर में इतने पार्क होने के बावजूद, वर्तमान में इनमें से कोई भी बच्चों के खेलने लायक स्थिति में नहीं है, जिससे नागरिकों में गहरी नाराजगी और निराशा है।
कुछ पार्कों को छोड़कर, ज्यादातर उद्यान खस्ताहाल हैं। यहाँंटूटे हुए खिलौने, हर तरफ गंदगी, पर्याप्त रोशनी का अभाव (अंधेरा) और मुरझाए हुए पेड़ दिखाई देते हैं।
जीर्णोद्धार के बाद भी बदहाली का दुःख विधायक देवयानी फररांद के प्रयासों से गंगापुर रोड स्थित प्रमोद महाजन पार्क का जीर्णोद्धार किया गया था, ताकि बच्चे दिवाली की छुट्टियों का आनंद ले सकें। हालांकि, कुछ पर्यटकों के अति-उत्साह के कारण पार्क के खिलौने क्षतिग्रस्त हो गए हैं और इस वजह से इस पार्क को भी बंद करना पड़ा है। नासिक रोड स्थित सोमानी पार्क का भी यही हाल है।
नासिक शहर के 441 पार्कों में से अधिकतर के रखरखाव और मरम्मत का काम ठेकेदारों को सौंपा गया है, लेकिन कई ठेकेदारों ने काम में उपेक्षा बरती है, और कुछ के ठेके खत्म हो जाने के कारण पूरी जिम्मेदारी मनपा प्रशासन पर आ गई है। कांटेदार घास, उगी हुई झाड़ियों और टूटे खिलौनों के कारण सातपुर के छोटे पार्कों की हालत खराब हो गई है।
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पूर्वी क्षेत्र के इंदिरानगर, नासिक पश्चिम क्षेत्र और नासिक रोड क्षेत्र के छोटे-बड़े पार्क भी जीर्ण-शीर्ण हो गए है, जहाँ बच्चों का जाना असुरक्षित हो गया है। मनपा द्वारा करोड़ों रुपये खर्च किए जाने के बावजूद उद्यानों की खस्ता हालत ने नागरिकों को चिंतित कर दिया है।
दिवाली की छुट्टियों में भी बच्चों के खेलने की कोई जगह नहीं बची है। बच्चे मानसिक रूप से परेशान हो रहे हैं और यह सवाल उठा रहे हैं कि ‘हम कहाँ खेले?’, टूटे खिलौनों और चारों ओर फैली गंदगी की यह समस्या मनपा की उपेक्षा के कारण और भी बदतर होती जा रही है। अभिभावकों का कहना है कि मनपा रखरखाव और मरम्मत पर नजर नहीं रख रहा है, इसीलिए पार्कों की हालत खराब है।
मनपा द्वारा पार्कों के रखरखाव के लिए ठेकेदारों को नियुक्त किया गया था। पंचवटी संभाग के 117 पार्कों में से 71 के रखरखाव का काम ठेकेदारों को दिया गया था।
सातपुर संभाग के 48 पार्को में से लगभग 35 पार्कों की मरम्मत और रखरखाव ठेकेदारों की देखरेख में चल रहा था। हालांकि, कई ठेके अब समाप्त हो चुके हैं, और बचे हुए पार्कों को संभालने की जिम्मेदारी मनपा खुद उठा रहा है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई सुधार नहीं दिख रहा है।






