प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स-सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: साल 2024 अपनी आखिरी सांसे गिन रहा है। महज दो दिनों का वक्त बाकी है जिसके बाद यह साल केवल स्मृतियों में शेष रह जाएगा। ऐसे में हम साल की बड़ी घटनाओं को रिवाइंड करने और कराने का प्रयास कर रहे हैं। इस कड़ी में आज बात होगी भारतीय सेना और सुरक्षाबलों के शौर्य की जिसने आतंक पर करारा प्रहार किया और उनके ना’पाक मंसूबों को नेस्तनाबूद किया।
देश में आर्थिक संकटों के बावजूद पाकिस्तानी सेना आतंकी ढांचे को पूरा समर्थन दे रही है। इसके पीछे वजह यह है कि इस साल जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना और सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए 60 फीसदी आतंकी पाकिस्तानी थे। लेकिन पाकिस्तान वैश्विक मंचों पर सरासर झूठ बोलता रहता है।
भारतीय सेना के अधिकारियों के मुताबिक, पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी समूहों में आतंकियों की स्थानीय भर्ती बहुत कम हो गई है। इस साल सिर्फ चार स्थानीय लोग ही इन समूहों में शामिल हुए हैं। बाकी ज्यादातर आतंकी सीमा पार यानी पाकिस्तान से आए हैं।
सेना अधिकारी ने बताया कि विभिन्न मुठभेड़ों और अभियानों में सुरक्षा बलों ने जम्मू क्षेत्र और कश्मीर घाटी समेत राज्य के विभिन्न इलाकों में करीब 75 आतंकियों को मार गिराने में सफलता पाई है। इसके साथ ही सेना ने नियंत्रण रेखा पर आतंकियों द्वारा घुसपैठ की कोशिशों के दौरान की गई गोलीबारी में भी आतंकियों को पकड़ा है। पाकिस्तान जिसे पूरी दुनिया में खासकर भारत में आतंकियों को निर्यात करने वाले सबसे बड़े केंद्रों में से एक के तौर पर देखा जाता है।
इस्लामाबाद ने पिछले साल से ही जम्मू क्षेत्र में आतंकवाद को बढ़ावा देने की कोशिश की है, लेकिन राजौरी, पुंछ, डोडा, किश्तवाड़, कठुआ और रियासी जिलों समेत जम्मू क्षेत्र में पाकिस्तानी आतंकवादियों की गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा रहा है। इसके लिए अतिरिक्त जवानों की तैनाती की जा रही है और चीन सीमा पर तैनाती के लिए राष्ट्रीय राइफल्स के वर्दीधारी बल को वहां से वापस बुलाए जाने के बाद पैदा हुए खालीपन को भरा जा रहा है।
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सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और उत्तरी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचेंद्र कुमार बल की व्हाइट नाइट कोर की देखरेख वाले क्षेत्र से आतंकवादियों को खत्म करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। ताकि आतंकवादी गतिविधियों को रोका जा सके।