साल 2024 में हुए बड़े हादसे
नवभारत डेस्क : नया साल शुरू होने में महज एक-दो दिन ही बचे हैं। ऐसे में अगर हम साल 2024 पर एक नजर डालें, तो यह साल कई मामलों में तो अच्छा रहा। लेकिन, इस साल कुछ ऐसे हादसे भी हुए, जिसके बारे में सुनने मात्र से ही आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। आज के इयर एंडर में हम बात करने वाले हैं, इस साल हुए बड़े हादसे के बारे में, जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया और हर एक नागरिक को सोचने पर भी मजबूर कर दिया।
जयपुर के अजमेर रोड पर बीते 20 दिसंबर को एक दर्दनाक हादसा हो गया। यह हादसा तब हुए जब एक LPG टैंकर रोड क्रॉस कर रहा था और पीछे से एक कंटेनर ट्रक ने LPG टैंकर में टक्कर मार दी। इस हादसे में LPG टैंकर में लगा आउटलेट नोजल टूट गया और गैस हवा में फैल गई। फ्रिक्शन के कारण निकली चिंगारी के सहारे इतने बड़े धमाके को जन्म दे दिया।
इस हादसे में 17 लोगों की जान चली गई और कई लोग घायल हो गए। इस गैस के धमाके ने तकरीबन 30 से 40 वाहनों को अपनी चपेट में ले लिया जिसमें कई लोग बुरी तरह झुलस गए। इस टक्कर के बाद बड़ा धमाका हुआ और थोड़ी ही देर में यात्री सवार बस सहित करीब 40 गाड़ियों में आग लग गई। एक कंटेनर चालक की लापरवाह ड्राइविंग के कारण इतने सारे लोगों की जान चली गई। बता दें यह साल का आखिरी बड़ा हादसा था जिसने कई परिवारों को बेघर कर दिया।
साल 2024 में बीते 15 नवम्बर को झांसी मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (ICU) में भीषण आग लग गई, जिसमें 18 नवजात बच्चों की जान चली गई। इसके अलावा, 16 लोग घायल हुए। यह घटना इतनी भयावह थी कि कुछ बच्चों को अपनी मां का चेहरा तक देखने का मौका नहीं मिला, क्योंकि वे जन्म के कुछ ही घंटों में इस हादसे का शिकार हो गए। कुछ बच्चे जिनकी उम्र 1-2 महीने थी, भी आईसीयू वार्ड में दम तोड़ गए।
इस आगजनी के मामले में अस्पताल प्रशासन की गंभीर लापरवाहियां सामने आईं, जैसे कि सीओटू आधारित फायर एक्सटिंग्विशर के बजाय मल्टी पर्पस फायर एक्सटिंग्विशर का उपयोग, आग जैसी स्थिति से निपटने के लिए जरूरी उपकरणों की कमी, शॉर्ट सर्किट पर ध्यान न देना और बच्चों को समय रहते नहीं निकाल पाना। इस घटना के बाद अस्पताल के प्रधानाचार्य को हटा दिया गया, जबकि तीन कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया।
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साल 2024 में 30 जुलाई की रात, केरल के वायनाड में आई विनाशकारी लैंडस्लाइड ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। वायनाड, जो पूरे साल पर्यटकों से भरा रहता है, इस आपदा का केंद्र बन गया। इस लैंडस्लाइड में सैकड़ों लोगों की मौत हुई और लगभग 180 लोग लापता हो गए। रेस्क्यू ऑपरेशन एक हफ्ते से अधिक समय तक चला। यह एक प्राकृतिक आपदा थी, लेकिन प्रशासन की तरफ से न तो सही तरीके से चेतावनी दी गई, न ही प्रभावित क्षेत्र को खाली कराया गया। इसके अलावा, रेस्क्यू प्रक्रिया में भी कई कमियां नजर आईं। हालांकि, राज्य सरकार ने मारे गए लोगों के परिवारों को और घायलों को मुआवजा प्रदान किया।