म्यूचुअल फंडस कॉन्सेप्ट फोटो, सोशल मीडिया
नई दिल्ली : मार्केट रेग्यूलेटर सेबी ने 22 अप्रैल को म्यूचुअल फंड की कुछ चुनी हुई स्कीम्स के लिए नया नियम बनाया है, जो 1 जून 2025 से लागू होने जा रहा है। जिसके अंतर्गत ओवरनाइट फंड की यूनिट खरीदने या बेचने पर उसकी नेट असेट वैल्यू यानी एनवी तय करने का भी समय बदल सकता है। इसका उद्देश्य निवेशकों के रिस्क को कम करना है।
पहले म्यूचुअल फंड हाउस सभी स्कीम्स के लिए एक जैसी समयसीमा के आधार पर एनवी आवंटित करते थे। लेकिन अब सेबी ने ओवरनाइट योजनाओं की यूनिट को खरीदने और बेचने के लिए अलग-अलग टाइमलाइन लागू कर दी है। ओवरनाइट फंड ऐसी स्कीम्स होती हैं, जो प्रमुख रुप से सरकारी सिक्योरिटी में निवेश करती हैं। इसका मैच्योरिटी पीरियड सिर्फ 1 दिन का होता है। ये फंड बहुत ही कम रिस्क वाला और हाई लिक्विडिटी के साथ आते हैं। भारत में अभी तकरीबन ऐसी 34 योजनाएं हैं।
सेबी ने अपने सर्कुलर में कहा है कि दोपहर 3 बजे के बाद मिले एप्लीकेशन के लिए, अगले ट्रेडिंग डे का क्लोजिंग एनएवी लागू होगा। हालांकि, अगर एप्लीकेशन ऑनलाइन मोड से आते हैं, तो ओवरनाइट फंड स्कीम्स के लिए शाम 7 बजे का कट-ऑफ समय लागू होगा।
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सेबी ने जनवरी में अपने कंसल्टेशन पेपर में जिक्र किया था कि ओवरनाइट स्कीम्स में एक दिन की मैच्योरिटी वाली सिक्योरिटीज में निवेश किया जाता है और पैसा अगले वर्किंग डे पर मिलता है। सेबी ने कहा था कि रिडेम्प्शन रिक्वेस्ट को पूरा करने के लिए, ओवरनाइट स्कीम्स को मार्केट टाइम से पहले कोई बिक्री लेनदेन नहीं करना पड़ता है। इसके अलावा, रिडेम्प्शन रिक्वेस्ट्स के आधार पर ओवरनाइट स्कीम्स, T+1 सेटलमेंट डेट पर मिलने वाली मैच्योरिटी इनकम को फिर से इन्वेस्ट न करने का फैसला ले सकती हैं। क्योंकि T-डे पर मिली रिडेम्प्शन रिक्वेस्ट्स की राशि के लिए फंड को हर दिन इन्वेस्ट करना होता है, इसलिए ऐसे फंड को T+1 डे पर फिर से इन्वेस्ट नहीं किया जाता है और इसके बजाय भुगतान के लिए उपयोग किया जाता है। इसके कारण, रिडेम्प्शन की समयसीमा, चाहे दोपहर 3 बजे हो या शाम 7 बजे, फंड के मूल्यांकन या निवेश को भुनाने की क्षमता को प्रभावित नहीं करेगी।